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Health Report Card : Secrets Of Indian Cuisine-Traditional Methods Of Cooking

Health Report Card

Health Report Card : अमेरिकी शोध ने खोला चौकाने वाला राज : जंक फूड बना रहा है दिमाग को कमजोर…!

43 साल की लंबी शोध मे एक हैरान करने वाला तथ्य सामने आया है। अमेरिका मे हुए इस शोध मे 1 लाख 30 हजार लोगों को शामिल किया गया। शोधकार्ताओं ने पाया की जो लोग नियमित रूप से Highly Processed (अत्याधिक प्रसंस्कृत) खाद्यपदार्थ खाते है, उन में डिमेंशिया होने का खतरा काफी बढ जाता है। डिमेंशिया एक गंभीर बिमारी है जिसमे याददाश्त, सोचने की क्षमता और भाषा का ज्ञान धीरे धीरे काम होने लगता है।

क्या खा रहे थे ये लोग..?

शोध में शामिल लोगों ने मुख्य रूप से Processed Food (प्रसंस्कृतिक) मांस जैसे Bacon, Sausages और Hot Dog का सेवन किया। इनके अलावा उन्होने, विभिन्न प्रकार के Packaged junk food भी खाए ।

भारत मे क्या है स्थिती..?

अगर यही शोध भारत में किया जाता तो शायद हम Pizza, Burger, fries, packed chips, समोसा और कचोरी जैसे खाद्यपदार्थों पर बात कर रहे होते। ये सभी खाद्यपदार्थ Highly Processed (अत्याधिक प्रसंस्कृत) होते है और इनमें हानिकारक तत्व पाए जाते है।

यह शोध हमें क्या बताता है..?

यह शोध स्पष्ट रूप से बताता है, की Highly processed (अत्याधिक प्रसंस्कृत) खाद्यपदार्थ का सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। ये न केवल हमारे दिल को बल्कि हमारे दिमाक कों भी नुकसान पहुँचाते है। इसीलिए हमे अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए और जीतना हो सके प्राकृतिक खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए।

हेल्थ रिपोर्ट कार्ड : Health Report Card

आज Health Report Card कार्ड में हम बात करेंगे भारतीय खाने की !.. और उसी के साथ -साथ जानेंगे की….

  1. अमेरिकी अध्ययनो से हमें क्या पता चला है..?
  2. खाना पकाने के पारंपरिक तरीकों के क्या फायदे है..?
  3. हमारे आहार मे अल्ट्रा प्रोसेस्ड (Ultra Processed) खाद्यपदार्थ का इतना प्रसार कैसे हुआ..?
  4. स्वस्थ भोजन के लिए थाली मे क्या क्या होना चाहिये.? हमारी थाली में किन पोषकता तत्वों का समावेश होना चाहिये..?

भोजन हमारे जीवन में क्याें महत्वपूर्ण है..?

आर्टिकल मे आगे बढने से पहले यह बुनियादी की बात समझते हैं की हम खाना क्यो खाते है.? उसका Primary मकसद है, Nutrition (न्यूट्रिशन) यानी पोषण। हमारे शरीर को ऊर्जा देने, कोशिकाओं की मरम्मत करने और बढने के लिए भोजन आवश्यक है। हम जीवीत और स्वस्थ रहने के लिए भोजन करते हैं।

अमेरिका के जाने माने पूर्व पत्रकार और Haward University (हार्वर्ड युनिव्हर्सिटी) मे गेस्ट लेक्चरर हैं मायकल पाॅलन। खाद्य प्रणाली और मानव स्वास्थ्य पर उनकी गहन समझ के लिए वे जाने जाते है। उनकी किताब “The Omnivore’s Dilemma (द ओम्निवोर्स डिलेमा)” न्यूयॉर्क टाइम्स बेस्ट सेलर रही है। Omnivore’s (ओम्निवोर्स) का अर्थ है सर्वाहारी यांनी ऐसा जीव जो शाकाहार और मांसाहार दोनो करता है। यह पृथ्वी पर सबसे आम खान पान का तरीका है। मनुष्य एक Omnivore जीव है।

क्या आपने कभी सोचा है की हमारे पूर्वज क्या खाते थे..? या फिर हम भविष्य मे क्या खायेंगे..?

मायकल पालन की किताब The Omnivore’s Dilemma (द ओम्निवोर्स डिलेमा)” इन सवालो के जवाब तलाशने की कोशिश करती है। उदाहरण के लिए अनाज हमें कार्बोहायड्रेट देते हैं जो हमे ऊर्जा प्रदान करते हैं, जब की फल और सब्जीया विटामिन और खनिज प्रदान करते हैं, जो हमारी प्रतीक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते है।

Health Report Card

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1- अमेरिकी अध्ययनो से हमें क्या पता चला है?

अमेरिकी अध्ययन के 10 महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष

एक व्यापक अध्ययन में 43 वर्ष तक 1,30,000 से अधिक लोगों का विश्लेषण करने पर कुछ गंभीर तथ्य सामने आए हैं। इस अध्ययन मे शामिल 8% से अधिक प्रतिभागीयों मे Dementia (डिमेंशिया) विकसित हुआ हैं।

Health Report Card अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार से है :

1) Processed red meat and risk of Dementia (प्रोसेस्ड रेड मीट और डिमेंशिया का खतरा) – नियमित रूप से प्रोसेस्ड रेड मीट का सेवन करने से Dementia (डिमेंशिया) होने का खतरा बढ जाता है।

2) Degree of Danger (खतरे की मात्रा) – जो लोग सप्ताह में दो बार प्रोसेस्ड रेड मीट खाते हैं, उनमें महिने मे तीन बार से कम खाने वालों की तुलना में Dementia (डिमेंशिया) का 14% अधिक जोखीम होता हैं।

3) Health options (स्वास्थ विकल्प) – रोजाना प्रोसेस्ड रेड मीट को Nuts, Beans या Tofu से बदलने पर Dementia (डिमेंशिया) का खतरा 20% तक कम हो सकता हैं।

4) Long term effect (लंबे समय का प्रभाव) – अध्ययन की प्रमुख लेखिका युहान ली के अनुसार, प्रोसेस्ड रेड मीट का लंबे समय तक रोजाना सेवन Dementia (डिमेंशिया) के खतरे को बढा सकता है।

5) Other Health Options (अन्य स्वास्थ्य समस्याएं) – प्रोसेस्ड रेड मीट के साथ चिप्स, आईस्क्रीम और इन्स्टंट सूप जैसे अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ भी टाईप-2 डायबिटीज, हृदयरोग और मोटापें से जुडे होते है।

6) Effects on Brain and Body (मस्तिष्क और शरीर पर प्रभाव) – रिसर्च ने पाया की प्रति दिन प्रोसेस्ड रेड मीट खाने से मस्तिष्क और शरीर के संवेदन तंत्र कमजोर हो जाते हैं और याददाश्त प्रभावित होती हैं।

7) अन्य स्वास्थ्य जोखीम – प्रोसेस्ड रेड मीट मे मौजूद सैचुरेटेड फॅट, सोडियम, आयरन और नाइट्राईट, स्ट्रोक, क्रोनिक सुजन, उच्च रक्तचाप और तांत्रिका तंत्र के विकारों का खतरा बढातें हैं।

8) Harmful Substance (हानिकारक पदार्थ) – युहान ली के अनुसार प्रोसेस्ड रेड मीट मे नाइट्राईट और सोडियम जैसे हानिकारक पदार्थों की उच्च मात्रा, कॅन्सर, हृदयरोग और मधुमेह का खतरा बढाती हैं।

निष्कर्ष – यह अध्ययन स्पष्ट रूप से दर्शाता है की प्रोसेस्ड रेड मीट का नियमित सेवन कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जुडा हुआ हैं। एक स्वस्थ आहार मे प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों को कम करके और अधिक पौष्टिक विकल्पों को अपनाकर हम इन जोखिमों को कम कर सकते हैं।

खाना कितना फायदेमंद हैं या नुकसानदायक….?

किसी खाद्यपदार्थ का हमारे स्वास्थ्य पर पडने वाला प्रभाव सीधे तौर पर उसकी Processing (प्रसंस्करण) प्रक्रिया से जुडा होता हैं। एक खेत मे उगा हुआ कच्चा पदार्थ जब तक हमारी थाली तक पहुंचता है, तब तक व कई तरह की प्रक्रियाओं से गुजरता है। यह Processing (प्रसंस्करण) ही तय करता है कि वह खाद्यपदार्थ हमारे लिए कितना फायदेमंद या कितना नुकसानदायक होगा।

उसकी प्रोसेसिंग से तय होता हैं..?

हमारी रोजमर्रा की थाली मे शामिल सब्जियों को लेते हुए, यह स्पष्ट हो जाता है की पारंपारिक पकाने के तरीके की अपनी अहमियत हैं। खेत से हमारी थाली तक पहुँचने वाली सब्जीयों को धोने, काटने और पकाने की प्रक्रिया ना सिर्फ उन्हे खानें योग्य बनाती है, बल्की उनके स्वाद को भी बढाती हैं। करेले, लौकी, तोरई या आलू जैसे कई सब्जीयां कच्ची अवस्था में खाने योग्य नहीं होतीं। इन्हे पकाने से न केवल उनका स्वाद बेहतर होता है, बल्की कई पोषक तत्व भी आसानी से पचने योग्य बन जाते हैं।

“दाल, जो खेतों से सीधे हमारी थाली तक आती है, को पकाने की प्रक्रिया भी एक तरह की Food Processing ( खाद्य प्रसंस्करण) ही है। हम इसे धोते हैं, साफ करते हैं, और फिर उबालकर नरम बनाते हैं। इस प्रक्रिया से दाल न केवल पचने में आसान हो जाती है बल्कि स्वादिष्ट भी बन जाती है। इसी तरह, दूध से दही, मक्खन और घी बनाना भी Food Processing (खाद्य प्रसंस्करण) का एक उदाहरण है।

खाना पकानें के लिए सबसे बढियां हमारा पारंपरिक तरीका हैं…!

इतिहास में, इंसानों ने भोजन को अधिक स्वादिष्ट, पचने मे आसान और सुरक्षित बनाने के लिए कई तरह की Processing (प्रसंस्करण) तकनीकें विकसित की है। ये तकनीकें न केवल भोजन को पचानें में आसान बनाती हैं, बल्की कई पोषक तत्वों को भी सुरक्षित रखती है। लेकिन जब खाद्य प्रसंस्करण का काम उद्योगों के हात में जाता है, तो समस्याएं शुरू हो जाती है। बडे पैमाने पर उत्पादन के लिए कई बार भोजन मे कृत्रिम रंग, स्वाद और संरक्षण मिलाये जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसके अलावा, अत्याधिक Processing प्रसंस्करण के कारण काही पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

जब खान-पान की जिम्मेदारी बडे़ पैमाने पर खाद्य उद्योग के हाथों मे आ गई, तब हमारी थाली मे बदलाव आने शुरू हो गए। कंपनीयों को कम समय में अधिक से अधिक उत्पादन करना था, जिसके लिये उन्होने मशीनों का सहारा लिया। इस दौड़ मे, मुनाफा कमाने की चाहत ने खाने की गुणवत्ता को प्रभावित किया। स्वाद और कम कींमत को प्राथमिकता देने के चक्कर में, प्राकृतिक और पौष्टिक तत्त्वों की जगाह कृत्रिम पदार्थ और संरक्षकों का इस्तमाल बढ़ गया।


Health Report Card : सस्ते और स्वादिष्ट के चक्कर में खोया हमारा स्वास्थ्य

औद्योगिक खाद्य उत्पादन ने हमें सस्ते और स्वादिष्ट खाने के झांसे में फसांकर हमारे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया है। खाद्य कंपनीयोंने मुनाफा कमाने के लिए खाने में अत्याधिक मात्रा में चिनी और नमक मिलाया। सस्ते दामों पर अधिक से अधिक उत्पाद बेचने की होड़ में उन्होने खाद्यपदार्थों की गुणवत्ता से समझौता कर लिया।

कम लागत मे अधिक उत्पादन के लिए कंपनीओं ने पाॅम ऑयल, मैदा और सस्ते स्वीटनर जैसे सस्ते घटकों का उपयोग किया। इसके साथ ही खाद्यपदार्थों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए हानिकारक संरक्षक मिलाये गए। इसी तरह अत्याधिक प्रसंस्करण ने खाद्यपदार्थों के पोषण मूल्यों को नष्ट कर दिया।

पिझ्झा, बर्गर और पॅक्ड चिप्स जैसे जंक फुड इस Processed अत्याधिक प्रसंस्करण का प्रमुख उदाहरण हैं। यह खाद्य पदार्थ न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, बल्कि मोटापा, मधुमेह और हृदयरोग जैसी गंभीर बिमारीयों का कारण भी बन सकते हैं।

Health Report Card – हमारी थाली : एक आदर्श मिश्रण

वनडाइटटुडे की संस्थापक और वरिष्ठ पोषण विशेषज्ञ डॉक्टर अनु अग्रवाल के अनुसार, एक आदर्श भोजन में अनाज, दालें सब्जीयां, फल, दूध और दूध के उत्पाद और स्वास्थ वसा जेसे विभिन्न खाद्य समूहों का संतुलित मिश्रण होना चाहिए। हालांकि, स्थानीय रूप से उपलब्ध सब्जीयों और फलों का चयन भिन्न हो सकता है,। लेकिन इन खाद्य समूहों का अनुपात और उनमें मौजूद पोषक तत्वों जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज का संतुलन एक जैसा ही रहता हैं। उदहारण के लिए एक दक्षिणी भारतीय थाली में चावल और दाल प्रमुख होंगे, जबकि एक उत्तरी भारतीय थाली में रोटी और दाल प्रमुख होंगे।

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